Advance Chemistry : मोलर चालकता का सांद्रण के साथ परिवर्तन(Variation of Molar conductivity with concentration)

Sunday, December 20, 2020

मोलर चालकता का सांद्रण के साथ परिवर्तन(Variation of Molar conductivity with concentration)

मोलर चालकता का सांद्रण के साथ परिवर्तन(Variation of Molar conductivity with concentration

(A) प्रबल विद्युत अपघट्यों के लिए मोलर चालकता का सांद्रण के साथ परिवर्तन-
एक प्रबल विद्युत अपघट्य (जैसे KCl, HCl आदि) की मोलर चालकता विलयन के सांद्रण में वृद्धि करने पर मंद गति से घटती है|
   विलयन के सांद्रण को कम करने पर (अर्थात तनुता को बढ़ाने पर) एक प्रबल विद्युत अपघट्य विलयन की मोलरता चालकता एक सीमांत मान की ओर अग्रसर होती है| सांद्रण के शून्य की ओर अग्रसर होने की दशा में प्राप्त मोलर चालकता का सीमांत मान को अनंत तनुता पर विलयन की मोलर चालकता कहा जाता है| इसे ^m°° से निरूपित किया जाता है|
     एक प्रबल विद्युत अपघट्य सभी तनुताओं पर लगभग पूर्णरूपेण आयनित होता है| जब किसी प्रबल विद्युत अपघट्य विलयन के सांद्रण में वृद्धि (अर्थात तनुता में कमी) की जाती है तो प्रति इकाई आयतन में उपस्थित अणुओं की संख्या अधिक हो जाती है| इसके कारण विपरीत आवेश युक्त आयन एक दूसरे से अधिक निकट आ जाते हैं और अधिक अंतरआयनिक आकर्षण का अनुभव करते हैं| इसके फलस्वरुप विलयन की मोलर चालकता कम हो जाती है| यही कारण है कि सांद्रण में वृद्धि करने पर एक प्रबल विद्युत अपघट्य विलयन की मोलर चालकता में अल्प कमी दिखाई देती है| इसके विपरीत विलयन के सांद्रण में कमी (अर्थात तनुता में वृद्धि) करने पर प्रति इकाई आयतन में उपस्थित आयनों की संख्या कम हो जाती है जिससे अंतरआयनिक आकर्षण कम हो जाता है और मोलर चालकता में अल्प वृद्धि प्राप्त होती है| यही कारण है की सांद्रण में कमी (तनुता में वृद्धि) करने पर एक प्रबल विद्युत अपघट्य विलयन की चालकता में अल्प वृद्धि प्राप्त होती है|

(B) दुर्बल विद्युत अपघट्यों के लिए मोलर चालकता का सांद्रण के साथ परिवर्तन-
दुर्बल विद्युत अपघट्य (जैसे- CH3COOH, NH4OH, HCN आदि) विलयन में बहुत कम मात्रा में वियोजित (आयनित) होते हैं| इसलिए समान सांद्रण के एक प्रबल विद्युत अपघट्य विलयन की तुलना में एक दुर्बल विद्युत अपघट्य विलयन में उपस्थित आयनों की संख्या बहुत कम होती है| अतः एक दुर्बल विद्युत अपघट्य विलयन की मोलर चालकता का मान प्रबल विद्युत अपघट्य विलयन की मोलर चालकता के मान से काफी कम पाया जाता है|

कोल्हराऊश का नियम (Kohlrausch's law)-
कोल्हराऊश ने सन 1875 में अनेक प्रबल विद्युत अपघट्यों की अनंत तनुता पर चालकताओं(^m°°) का गहन अध्ययन किया और एक नियम दिया जिसे  कोल्हराऊश का नियम कहा जाता है| इस नियम के अनुसार-
       किसी विद्युत अपघट्य की अनंत तनुता पर चालकता इसके धनायनों तथा ऋणायनों की मोलर चालकताओं के योग के बराबर होती है, यदि प्रत्येक चालकता पद को विद्युत अपघट्य के सूत्र में उपस्थित संगत आयनों की संख्या से गुणा किया जाए|
   यदि किसी विद्युत अपघट्य के धनायनों तथा ऋणायनों की अनंत तनुता पर मोलर चालकताओं को क्रमशः तथा से निरूपित किया जाए तो कोलराउश के नियमानुसार-
जैसे -

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