किसी इलेक्ट्रोड विभव को उस समय मानक इलेक्ट्रोड विभव कहा जाता है जबकि निम्न शर्तों का पूर्ण रुप से पालन हो-
(1) इलेक्ट्रोड निकाय का ताप 298 K (25°C) हो|
(2) इलेक्ट्रोड निकाय में उपस्थित विलयन का सांद्रण एक मोल प्रति लीटर(1mol/L) हो|
(3) यदि इलेक्ट्रोड निकाय में किसी गैस का प्रयोग किया गया है तो उसका दाब एक वायुमंडल (1atm) हो|
मानक इलेक्ट्रोड विभव को E° से निरूपित किया जाता है| जब मानक अवस्थाओं में एक इलेक्ट्रोड पर ऑक्सीकरण प्रक्रिया द्वारा विभव उत्पन्न होता है तो उसे मानक ऑक्सीकरण विभव कहा जाता है तथा इसे E°oxi या E°M/Mn+ से निरूपित किया जाता है| इसी प्रकार मानक अवस्थाओं में अपचयन की प्रक्रिया से उत्पन्न विभव को मानक अपचयन विभव कहा जाता है तथा इसे E°red या E°Mn+/M से निरूपित किया जाता है| एक इलेक्ट्रोड विशेष के लिए इन दोनों प्रकार के विभव के संख्यात्मक मान समान होते हैं लेकिन उनके चिन्ह विपरीत होते हैं अर्थात
E°M/Mn+ = -E°Mn+/M
जैसे, E°Zn/Zn2+ = -E°Zn2+/Zn
I.U.P.A.C. के अनुसार पद मानक विभव का प्रयोग अपचयन अभिक्रियाओं के लिए किया जाना चाहिए| इसलिए पद मानक विभव या मानक इलेक्ट्रोड विभव का प्रयोग मानक अपचयन विभव को इंगित करने के लिए किया जाता है|
मानक इलेक्ट्रोड विभव का मापन-
एक एकल इलेक्ट्रोड पर या तो कोई ऑक्सीकरण या अपचयन अभिक्रिया संपन्न होती है जो उसे विभव प्रदान करती है| चूँकि ऑक्सीकरण तथा अपचयन अभिक्रियाएं एक दूसरे के पूरक है| अतः किसी एकल इलेक्ट्रोड के इलेक्ट्रोड विभव का निरपेक्ष मान मापना संभव नहीं है| लेकिन दो इलेक्ट्रोडो के मध्य स्थित विभवांतर को आसानी से मापा जा सकता है| अतः किसी एकल इलेक्ट्रोड के विभव को केवल एक मानक संदर्भ इलेक्ट्रोड के सापेक्ष ही मापा जा सकता है| मानक संदर्भ इलेक्ट्रोड के रूप में मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड का प्रयोग किया जाता है और उसके सापेक्ष ही अन्य इलेक्ट्रोडो के इलेक्ट्रोड विभव को मापा जाता है|
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