Advance Chemistry : अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक (Factors which affect the reaction rate)

Tuesday, December 29, 2020

अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक (Factors which affect the reaction rate)

अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक 
(Factors which affect the reaction rate)
किसी अभिक्रिया की दर निम्न कारकों पर निर्भर करती है-
(1) अभिकारकों की प्रकृति-
रासायनिक अभिक्रिया की दर अभिकारकों की प्रकृति पर निर्भर करती है| जैसे- यदि किसी अभिक्रिया में अभिकारकों की प्रकृति ध्रुवीय या आयनिक है तो वह अभिक्रिया तीव्र गति से होती है जबकि सह संयोजी पदार्थों की अभिक्रियाएं अपेक्षाकृत मंद होती हैं|
(2) अभिकारकों का सांद्रण-
सामान्यतः अभिकारकों की सांद्रता बढ़ाए जाने पर अभिक्रिया का वेग भी बढ़ता है क्योंकि अभिकारकों का सांद्रण बढ़ने पर उनके द्वारा आणविक टक्करों की संभावना भी बढ़ती है जिस कारण अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है|
         किसी अभिक्रिया की दर पर अभिकारकों के सांद्रण के परिमाणात्मक संबंध का सबसे पहले गुलबर्ग तथा वागे ने अध्ययन किया तथा उन्होंने एक नियम दिया जिसे द्रव्य अनुपाती क्रिया का नियम कहा जाता है|
         इस नियम के अनुसार स्थिर ताप पर किसी अभिक्रिया की दर अभिकारकों के सक्रिय द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती होती है यदि प्रत्येक सक्रिय द्रव्यमान पद पर संगत स्टॉयशियोमीट्रिक नियतांक की घात स्थित हो|
 सामान्य अभिक्रिया, 
aA + bB + cC  ------>  उत्पाद 
के लिए द्रव्य अनुपाती क्रिया के नियम के अनुसार,
अभिक्रिया की दर { [A]a × [B]b × [C]c
या, 
अभिक्रिया की दर= k [A]a × [B]b × [C]c
जहां k एक स्थिरंक है जिसे वेग स्थिरांक कहा जाता है|

जैसे -
निम्न अभिक्रिया के लिए
2NO + 2H2 ---> N2 + 2H2O 
अभिक्रिया की दर= k [NO]2 × [H2]2
(3) ताप -
सामान्यतः ताप का मान बढ़ाया जाने पर ऊष्माक्षेपी एवं ऊष्माशोषी दोनों प्रकार की अभिक्रियाओं का वेग बढ़ जाता है| अधिकांश समांग अभिक्रिया में 10°C  ताप बढ़ाए जाने पर अभिक्रिया का वेग लगभग दोगुना हो जाता है| अतः ताप का अभिक्रिया की दर पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है|
(4) उत्प्रेरक की उपस्थिति-
 उत्प्रेरक वह पदार्थ हैं जो अभिक्रिया के वेग को बढ़ा देते हैं तथा वे स्वयं अभिक्रिया में भाग नहीं लेते हैं| अभिक्रिया के अंत में इनके रासायनिक संगठन में कोई परिवर्तन नहीं होता है| उत्प्रेरक के द्वारा अभिक्रिया के वेग को बढ़ाने का कारण यह है कि यह न्यून उर्जा अवरोध का एक अन्य मार्ग देता है| ऊर्जा अवरोध में कमी के कारण अधिक संख्या में क्रियाकारी पदार्थ अभिक्रिया में भाग लेते हैं जिस कारण अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है|
(5) सतह क्षेत्रफल-
 यदि कोई अभिकारक ठोस है तो उसका सतह क्षेत्रफल बढ़ाए जाने पर अभिक्रिया की दर बढ़ती है| एक ठोस की तुलना में बारीक महीन या पिसे ठोस का सतह क्षेत्रफल अधिक होता है तथा यह अधिक तीव्र गति से किया करते हैं| जैसे- कोयले के एक बड़े टुकड़े की तुलना में उसका चूर्ण अधिक तेजी से जलता है|

No comments:

Post a Comment