Advance Chemistry

Monday, January 4, 2021

प्रथम कोटि की अभिक्रिया ( First order of reaction )

प्रथम कोटि की अभिक्रिया (First order of reaction )


प्रथम कोटि की अभिक्रियायें -
(First order of reaction )
ऐसी अभिक्रियाएं जिनमें अभिक्रिया के वेग का मान अभिकारक के सांद्रण के 1 घात पर निर्भर करता है, प्रथम कोटि की अभिक्रियायें कहलाती हैं|
अभिक्रिया A -----> product प्रथम कोटि की अभिक्रिया होगी, यदि इसके लिए वेग नियम निम्न है-
Rate = k[A]1 = k[A]

प्रथम कोटि की अभिक्रियाओं के कुछ मुख्य उदाहरण निम्न हैं -
(1) C2H5Cl ------------> C2H4 + HCl 
प्रायोगिक वेग नियम-
Rate = k [C2H5Cl]
अभिक्रिया की कोटि = 1
(2) NH4NO2 -------> N2 + 2H2O 
प्रायोगिक वेग नियम-
Rate = k [NH4NO2]
अभिक्रिया की कोटि = 1
प्रथम कोटि अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक के मात्रक-
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए,
Rate = k[A] 
 k = Rate/[A]
    = molL-1s-1 / molL-1
    = s-1
 अतः प्रथम कोटि की अभिक्रिया के वेग स्थिरांक का मात्रक s-1होता है|

प्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग  समीकरण या समाकलित वेग समीकरण-
माना कि निम्न अभिक्रिया प्रथम कोटि की है-
                    A -------> product 
t=0              a              0
t=t             a-x             x 
द्रव्य अनुपाती क्रिया के नियम से-
Rate = k[A]1 
r = k(a-x)    -------(1)
बलगतिकी के नियमानुसार-
r = dx/dt   -------(2)
समीकरण 1 व 2 से 
 dx/dt = k(a-x)    
dx/(a-x) = kdt 
समाकलन करने पर
     ✓dx/(a-x) = k✓dt 
loge1/(a-x) = kt + C 
क्योंकि, loge1/x = -logex 
  -logex  = kt + C  ------(3)
प्रारंभिक समय में 
t = 0,    x  = 0
यह मान समीकरण 3 में रखने पर 
-loge(a-0)  = k×0 + C
-loge a  =  C
C का मान समीकरण 3 में रखने पर 
-loge(a-x)  = kt - logea
 logea - loge(a-x) = kt
k= 1/t logea - loge(a-x) 
क्योंकि, logx - logy = log x/y 
k= 1/t loge a/(a-x)
क्योंकि, loge = 2.303log10
k= 2.303/t log10 a/(a-x)
अर्द्ध-आयु काल -
किसी अभिक्रिया के आधे भाग के पूर्ण होने में लगने वाले समय अर्थात किसी अभिक्रिया में अभिकारकों की प्रारंभिक मात्रा के आधे भाग के क्रिया करने में लगने वाले समय को उस अभिक्रिया की अर्द्ध-आयु कहा जाता है|
इसे t1/2 से प्रदर्शित करते हैं |
अतः प्रथम कोटि अभिक्रिया के लिए -
t = t1/2
a=a 
(a-x) = a/2
क्योंकि, 
k= 2.303/t log10 a/(a-x)
k= 2.303/t1/2  log10 a/(a/2)
k= 2.303/t1/2 log10 (2)
क्योंकि,  log10(2) = 0. 3010
k = (2. 303 × 0. 3010) / t1/2
k = 0. 693/t1/2

Sunday, January 3, 2021

शून्य कोटि की अभिक्रिया (Zero order reaction )


शून्य कोटि की अभिक्रियायें -
(Zero order reaction )
ऐसी अभिक्रियाएं जिनमें अभिक्रिया के वेग का मान किसी भी अभिकारक के सांद्रण पर निर्भर नहीं करता है तथा यह मान पूरी अभिक्रिया के समय स्थिर रहता है शून्य कोटि की अभिक्रियायें कहलाती हैं|
अभिक्रिया A -----> product शून्य कोटि की अभिक्रिया होगी, यदि इसके लिए वेग नियम निम्न है-
Rate = k[A]0 = k 

शून्य कोटि की अभिक्रियाओं के कुछ मुख्य उदाहरण निम्न हैं -
(a) जल की सतह पर H2 तथा Cl2 का प्रकाश रासायनिक संयोग-
                  प्रकाश 
H2 + Cl2 ------------> 2HCl 
प्रायोगिक वेग नियम-
Rate = k [H2]0 [Cl2]0 = k
अभिक्रिया की कोटि = 0
(b) गोल्ड या प्लैटिनम की सतह पर NH3 का विघटन-
2NH3 ------------> N2 + 3H2
प्रायोगिक वेग नियम-
Rate = k [2NH3]0 = k
अभिक्रिया की कोटि = 0
शून्य कोटि अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक के मात्रक-
शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिए,
Rate = k[A]0 = k 
         = molL-1s-1
 अतः शून्य कोटि की अभिक्रिया के वेग स्थिरांक का मात्रक molL-1s-1होता है|

शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग  समीकरण या समाकलित वेग समीकरण-
माना कि निम्न अभिक्रिया शून्य कोटि की है-
                    A -------> product 
t=0              a              0
t=t             a-x             x 
द्रव्य अनुपाती क्रिया के नियम से-
Rate = k[A]0 
r = k      -------(1)
बलगतिकी के नियमानुसार-
r = dx/dt   -------(2)
समीकरण 1 व 2 से 
k = dx/dt
dx = kdt 
समाकलन करने पर
     ✓dx = k✓dt 
       x = kt + C  ------(3)
प्रारंभिक समय में 
t = 0,    x  = 0
यह मान समीकरण 3 में रखने पर 
C = 0
C का मान समीकरण 3 में रखने पर 
x = kt + 0
x = kt 
 या, 
k = x/t
 
अर्द्ध-आयु काल -
किसी अभिक्रिया के आधे भाग के पूर्ण होने में लगने वाले समय अर्थात किसी अभिक्रिया में अभिकारकों की प्रारंभिक मात्रा के आधे भाग के क्रिया करने में लगने वाले समय को उस अभिक्रिया की अर्द्ध-आयु कहा जाता है|
इसे t1/2 से प्रदर्शित करते हैं |
अतः शून्य कोटि अभिक्रिया के लिए -
t = t1/2
x = a/2
क्योंकि k = x/t
या,  k = a/2 ÷ t1/2
अतः t1/2 = a/2k






अभिक्रिया की कोटि (Order of a reaction)

अभिक्रिया की कोटि 
(Order of a reaction)-
किसी अभिक्रिया के वेग नियम में निहित किसी अभिकारक विशेष के सांद्रण की घात को उस अभिकारक के सापेक्ष अभिक्रिया की कोटि कहा जाता है तथा वेग नियम में निहित सभी अभिकारकों के सांद्रणों की घातों के योग को अभिक्रिया की कुल कोटि कहा जाता है|
 जैसे, माना कि एक सामान्य अभिक्रिया
aA + bB + cC ----> product 
 के प्रायोगिक रूप से प्राप्त वेग नियम को निम्न प्रकार व्यक्त किया जा सकता है-
Rate = k [A]p [B]q [C]r  
 इस वेग नियम में पद p अभिकारक A के सापेक्ष अभिक्रिया की कोटि को व्यक्त करता है| इसी प्रकार q तथा r क्रमशः  अभिकारको B तथा C के सापेक्ष अभिक्रिया की कोटि को व्यक्त करते हैं|
 अतः, 
अभिक्रिया की कुल कोटि = p+q+r 
 इस अभिक्रिया को A के सापेक्ष p कोटि, B के सापेक्ष q कोटि तथा C के सापेक्ष r कोटि की अभिक्रिया कहा जाएगा तथा अभिक्रिया की कुल कोटि p+q+r होगी |

जब किसी अभिक्रिया के लिए कोटि का मान 1 होता है तो उसे प्रथम कोटि की अभिक्रिया कहा जाता है| यदि कोटि का मान 2 है तो इसे द्वितीय कोटि की अभिक्रिया कहते हैं| इसी प्रकार कोटि का मान 3 होने पर वह तृतीय कोटि की अभिक्रिया कहलाती है |
👉 अभिक्रिया की कोटि पूरी तरह से एक प्रायोगिक मान है इसे अभिक्रिया की संतुलित समीकरण में निहित अभिकारकों की स्टॉयशियोमीट्रिक मानों द्वारा ज्ञात नहीं किया जा सकता है|
👉 अभिक्रिया की कोटि प्रायः पूर्णांक होती है| लेकिन इसका मान 0 तथा प्रभाज में भी हो सकता है| 
जैसे-
 निम्न अभिक्रिया 
2NO + O2 ---> 2NO2
का प्रयोग से प्राप्त वेग नियम निम्न है-
Rate = k [NO]2 [O2]1
 अभिक्रिया की कुल कोटि = 2+1=3 
अतः यह तृतीय कोटि की अभिक्रिया है|
Question -
अभिक्रिया A+2B ---->C  निम्न वेग नियम का पालन करती है-
Rate = k [A]1/2 [B]3/2
 इस अभिक्रिया की कोटि क्या है?
Solution -
इस अभिक्रिया के लिए वेग नियम निम्न है-
Rate = k [A]1/2 [B]3/2
A के सापेक्ष अभिक्रिया की कोटि= 1/2 
बी के सापेक्ष अभिक्रिया की कोटि= 3/2 अभिक्रिया की कुल कोटि = 1/2 + 3/2 
                                   = 2 




Saturday, January 2, 2021

अभिक्रिया की आणविकता (Molecularity of a reaction)

अभिक्रिया की आणविकता (Molecularity of a reaction)
 एक रासायनिक अभिक्रिया को संपन्न करने के लिए उन क्रियाकारी स्पीशीज (परमाणु, अणु या आयन) की संख्या जिनका एक साथ टकराना आवश्यक है, अभिक्रिया की आणविकता कहलाती है|
          अभिक्रिया की आणविकता पूर्णांक होती है तथा इसका मान 1, 2, 3 इत्यादि हो सकता है|

👉 एक आणविक अभिक्रियाएं (Unimolecular reactions)-
जब किसी अभिक्रिया में क्रियाकारी पदार्थ का केवल एक अणु भाग लेता है तो उस अभिक्रिया की आणविकता एक होती है|
 जैसे-
   NH4NO2 ---> N2 + 2H2O 

👉 द्वि-आणविक अभिक्रियाएं (Bimolecular reactions)-
जब अभिकारकों के दो अणु आपस में टकरा कर रासायनिक परिवर्तन उत्पन्न करते हैं तो अभिक्रिया की आणविकता दो होती है|
 जैसे-
 2HI ---> H2 + I2
2N2O5 ---> 2N2O4 + O2

👉 त्रि-आणविक अभिक्रियाएं (Trimolecular reactions)-
जब अभिकारकों के तीन अणु आपस में टकरा कर रासायनिक परिवर्तन उत्पन्न करते हैं तो अभिक्रिया की आणविकता तीन होती है|
 जैसे-
 2NO + Cl2 ---> 2NOCl 
2NO + O2 ---> 2NO2

तीन से अधिक आणविकता वाली अभिक्रियाएं दुर्लभ हैं क्योंकि तीन से अधिक अणुओं के एक साथ टकराने की संभावना अत्यंत कम होती है|

छद्म एकआणविक अभिक्रियाएं (Pseudo-Unimolecular reactions)-
वे प्रथम कोटि अभिक्रियायें,  जिनकी आणविकता एक से अधिक होती है, छद्म एकआणविक अभिक्रियाएं कहलाती हैं|
जैसे -
CH3COOC2H5 + H2O ----> CH3COOH + C2H5OH

C12H22O11 + H2O ----> C6H12O6 + C6H12O6 
उपरोक्त दोनों अभिक्रियाओं में अभिक्रिया का वेग जल पर निर्भर नहीं करता है| इसलिए यह प्रथम कोटि की अभिक्रिया है, परंतु इसकी आणविकता 2 है|

मौलिक अभिक्रियाओं की आणविकता-
 वे साधारण अभिक्रियाएं जो केवल एक पद में पूर्ण होती हैं, मौलिक अभिक्रियाएं कही जाती हैं| इन अभिक्रियाओं में भाग लेने वाले अणुओं की संख्या उसकी आणविकता को व्यक्त करती है| 
           मौलिक अभिक्रियाओं की आणविकता अभिक्रिया के संतुलित समीकरण द्वारा व्यक्त किए गए अभिकारक परमाणु, आयन या अणुओं की संख्या के बराबर मानी जाती है|
 जैसे-
NH4NO2 ---> N2 + 2H2O (आणविकता =1)
2HI ---> H2 + I2 (आणविकता =2)
2NO + Cl2 ---> 2NOCl (आणविकता =3)

जटिल अभिक्रियाओं की आणविकता-
वे अभिक्रियाएं जो दो या अधिक पदों में पूर्ण होती हैं उन्हें जटिल अभिक्रियाएं कहा जाता है| जटिल अभिक्रियाओं की आणविकता संतुलित अभिक्रिया की स्टॉयशियोमिटरी द्वारा ज्ञात नहीं की जा सकती है क्योंकि इस प्रकार की अभिक्रियाओं को संतुलित समीकरणों में काफी अधिक संख्या में अभिकारक अणु हो सकते हैं|
 जैसे-
2FeCl3 + 6KI ---> 2FeI2 + 6KCl + I2

2KMnO4 + 16HCl ----> 2KCl + 2MnCl2 + 5Cl2 + 8H2O 
इन अभिक्रियाओं को देखने से यह लगता है कि इनकी आणविकता बहुत अधिक है, परंतु ऐसा नहीं होता है| जटिल अभिक्रियाओं की आणविकता ज्ञात करने में यह माना जाता है कि यह अभिक्रियाएं कई पदों में पूर्ण होती हैं| प्रत्येक पद में एक, दो या अधिक से अधिक तीन अणु भाग लेते हैं|
      किसी जटिल अभिक्रिया के सबसे मंद पद (वेग निर्धारित करने वाला पद) में भाग लेने वाले अभिकारक अणुओं या परमाणुओं की संख्या को जटिल अभिक्रिया की आणविकता कहा जाता है जैसे-
2NO + 2H2 ---> N2 + 2H2O 
यह माना जाता है कि यह अभिक्रिया निम्न 2 पदों में पूर्ण होती है-
पद 1-
2NO + H2 ---> N2 + H2O2 (मंद)
पद 2-
H2O2 + H2 ---> 2H2O (तीव्र)
 क्योंकि पद 1 मंद है अतः यह वेग निर्धारित करने वाला पद है| पद 1 में अभिकारकों के अणुओं की संख्या 3 है| अतः सबसे मंद मौलिक पद की आणविकता 3 है| इसे संपूर्ण अभिक्रिया की आणविकता माना जा सकता है|


Wednesday, December 30, 2020

वेग नियम तथा वेग स्थिरांक (Rate law and rate constant)

वेग नियम तथा वेग स्थिरांक (Rate law and rate constant)

वेग नियम (Rate law )-
वह गणितीय व्यंजक जो अभिकारकों के मोलर सांद्रण पर अभिक्रिया के दर की प्रायोगिक निर्भरता को व्यक्त करता है वेग नियम कहलाता है|
         इस नियम में अभिक्रिया की दर को अभिकारकों की मोलर सांद्रता के गुणनफल के पदों में व्यक्त किया जाता है| सांद्रण पर अभिक्रिया के वेग की वास्तविक निर्भरता व्यक्त करने वाले मान को प्रत्येक सांद्रण पद की घात के रूप में व्यक्त किया जाता है|

यदि एक सामान्य अभिक्रिया,
aA + bB ---> cC + dD 
 की दर A के सांद्रण की घात p तथा B के सांद्रण की घात q पर निर्भर करती है तो, 
   Rate = k [A]p  [B]q 
उपरोक्त समीकरण में प्रयुक्त घातें p तथा q के मान संतुलित समीकरण में प्रयुक्त स्टॉयशियोमीट्रिक नियतांक मानों a तथा b के समान हो भी सकते हैं तथा यह मान उन से भिन्न भी हो सकते हैं|
         कुछ अभिक्रियाओं के वेग नियम निम्न है-
(1) H2 + I2 ---> 2HI 
      Rate = k [H2]  [I2]
 (2) 2NO + O2 ---> 2NO2 
      Rate = k [NO]2  [O2]
(3) NO2 + CO ---> NO + CO2
      Rate = k [NO2]2  [CO]0 
               = k [NO2]2
वेग स्थिरांक (Rate constant)-
अभिक्रिया के वेग नियम में प्रयुक्त स्थिरांक k को वेग स्थिरांक या दर स्थिरांक कहा जाता है| इसे विशिष्ट अभिक्रिया वेग भी कहते हैं|
           माना कि सामान्य अभिक्रिया,
aA + bB ----> product  
 का वेग नियम निम्न है-
       Rate = k [A]p  [B]q 
 जहां, k वेग स्थिरांक है तथा घात p, q क्रमशः अभिकारकों A तथा B के सांद्रण पर अभिक्रिया के वेग की निर्भरता को व्यक्त करते हैं|
 यदि, [A] = 1mol/L
        [B] = 1mol/L
 अतः वेग स्थिरांक को निम्न प्रकार परिभाषित किया जा सकता है-
     किसी अभिक्रिया का वेग स्थिरांक उस समय अभिक्रिया के वेग के बराबर होता है जब प्रत्येक अभिकारक का सांद्रण इकाई हो|
 किसी निश्चित ताप पर अभिक्रिया के वेग स्थिरांक का मान निश्चित होता है| ताप बढ़ाए जाने पर इसके मान में वृद्धि होती है| इसका मान अभिकारकों के प्रारंभिक सांद्रणों पर निर्भर नहीं करता है|

 वेग स्थिरांक के मात्रक-
वेग स्थिरांक के मात्रक अभिकारकों के सांद्रण को व्यक्त करने वाले घातों के योगफल पर निर्भर करता है|
    उदाहरण के लिए, माना की सामान्य अभिक्रिया 
aA + bB ----> product  
का वेग नियम नियम है-
      Rate = k [A]p  [B]q 
यदि, p+q = n तो 
 Rate = k [अभिकारकों का सांद्रण ]n 
अतः, 
k= rate /[अभिकारकों का सांद्रण ]n 
  = molL´1s´1/ (molL´1)n 
  = mol1-n Ln-1 s-1



Tuesday, December 29, 2020

अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक (Factors which affect the reaction rate)

अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक 
(Factors which affect the reaction rate)
किसी अभिक्रिया की दर निम्न कारकों पर निर्भर करती है-
(1) अभिकारकों की प्रकृति-
रासायनिक अभिक्रिया की दर अभिकारकों की प्रकृति पर निर्भर करती है| जैसे- यदि किसी अभिक्रिया में अभिकारकों की प्रकृति ध्रुवीय या आयनिक है तो वह अभिक्रिया तीव्र गति से होती है जबकि सह संयोजी पदार्थों की अभिक्रियाएं अपेक्षाकृत मंद होती हैं|
(2) अभिकारकों का सांद्रण-
सामान्यतः अभिकारकों की सांद्रता बढ़ाए जाने पर अभिक्रिया का वेग भी बढ़ता है क्योंकि अभिकारकों का सांद्रण बढ़ने पर उनके द्वारा आणविक टक्करों की संभावना भी बढ़ती है जिस कारण अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है|
         किसी अभिक्रिया की दर पर अभिकारकों के सांद्रण के परिमाणात्मक संबंध का सबसे पहले गुलबर्ग तथा वागे ने अध्ययन किया तथा उन्होंने एक नियम दिया जिसे द्रव्य अनुपाती क्रिया का नियम कहा जाता है|
         इस नियम के अनुसार स्थिर ताप पर किसी अभिक्रिया की दर अभिकारकों के सक्रिय द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती होती है यदि प्रत्येक सक्रिय द्रव्यमान पद पर संगत स्टॉयशियोमीट्रिक नियतांक की घात स्थित हो|
 सामान्य अभिक्रिया, 
aA + bB + cC  ------>  उत्पाद 
के लिए द्रव्य अनुपाती क्रिया के नियम के अनुसार,
अभिक्रिया की दर { [A]a × [B]b × [C]c
या, 
अभिक्रिया की दर= k [A]a × [B]b × [C]c
जहां k एक स्थिरंक है जिसे वेग स्थिरांक कहा जाता है|

जैसे -
निम्न अभिक्रिया के लिए
2NO + 2H2 ---> N2 + 2H2O 
अभिक्रिया की दर= k [NO]2 × [H2]2
(3) ताप -
सामान्यतः ताप का मान बढ़ाया जाने पर ऊष्माक्षेपी एवं ऊष्माशोषी दोनों प्रकार की अभिक्रियाओं का वेग बढ़ जाता है| अधिकांश समांग अभिक्रिया में 10°C  ताप बढ़ाए जाने पर अभिक्रिया का वेग लगभग दोगुना हो जाता है| अतः ताप का अभिक्रिया की दर पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है|
(4) उत्प्रेरक की उपस्थिति-
 उत्प्रेरक वह पदार्थ हैं जो अभिक्रिया के वेग को बढ़ा देते हैं तथा वे स्वयं अभिक्रिया में भाग नहीं लेते हैं| अभिक्रिया के अंत में इनके रासायनिक संगठन में कोई परिवर्तन नहीं होता है| उत्प्रेरक के द्वारा अभिक्रिया के वेग को बढ़ाने का कारण यह है कि यह न्यून उर्जा अवरोध का एक अन्य मार्ग देता है| ऊर्जा अवरोध में कमी के कारण अधिक संख्या में क्रियाकारी पदार्थ अभिक्रिया में भाग लेते हैं जिस कारण अभिक्रिया का वेग बढ़ जाता है|
(5) सतह क्षेत्रफल-
 यदि कोई अभिकारक ठोस है तो उसका सतह क्षेत्रफल बढ़ाए जाने पर अभिक्रिया की दर बढ़ती है| एक ठोस की तुलना में बारीक महीन या पिसे ठोस का सतह क्षेत्रफल अधिक होता है तथा यह अधिक तीव्र गति से किया करते हैं| जैसे- कोयले के एक बड़े टुकड़े की तुलना में उसका चूर्ण अधिक तेजी से जलता है|

Monday, December 28, 2020

अभिक्रिया की दर के प्रकार (Types of rate of reaction)

अभिक्रिया की दर के प्रकार 
(Types of rate of reaction)
रासायनिक अभिक्रिया के बलगतिकी अध्ययन में प्रायः दो प्रकार की अभिक्रियाओं की दर का प्रयोग किया जाता है|
 (1) औसत दर (Average rate )
(2) तात्क्षणिक दर (Instantaneous rate )

(1) अभिक्रिया की औसत दर
(Average rate of a reaction)-
किसी निश्चित समय अंतराल में प्रति इकाई समय में किसी भी क्रियाकारी पदार्थ या किसी भी उत्पाद के सांद्रण परिवर्तन को अभिक्रिया की औसत दर कहा जाता है|
        क्रियाकारी पदार्थ या उत्पाद के सांद्रण में होने वाले परिवर्तन को इस परिवर्तन में लगे समय अंतराल से भाग करके अभिक्रिया की औसत दर ज्ञात की जा सकती है|अतः 

अभिक्रिया की औसत दर = क्रियाकारी पदार्थ या उत्पाद के सांद्रण में परिवर्तन/परिवर्तन में लगा समय अंतराल

एक अभिक्रिया A -----> B 
के लिए दर को निम्न दो प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है-
(a) A के सांद्रण में कमी के रूप में- अभिक्रिया की औसत दर = A के सांद्रण में कमी / परिवर्तन में लगा समय अंतराल 
या, 
अभिक्रिया की औसत दर =-∆[A] /∆t
(b) B के सांद्रण में वृद्धि के रूप में- 
अभिक्रिया की औसत दर = B के सांद्रण में वृद्धि / परिवर्तन में लगा समय अंतराल 
या, 
अभिक्रिया की औसत दर =∆[B] /∆t

जैसे - अभिक्रिया, 
PCl5 ---> PCl3 + Cl2 के लिए 
अभिक्रिया की औसत दर =-∆[PCl5] /∆t = ∆[PCl3] /∆t = ∆[Cl2] /∆t 

इसी प्रकार अभिक्रिया, 
2N2O5 ---> 4NO2 + O2 के लिए 

अभिक्रिया की औसत दर =-1/2∆[N2O5] /∆t = 1/4∆[NO2] /∆t = ∆[O2] /∆t 

(2) अभिक्रिया की तात्क्षणिक दर
(Instantaneous rate of a reaction)-
किसी निश्चित क्षण पर अभिकारक या उत्पाद की सांद्रता में होने वाले परिवर्तन की दर को उस अभिक्रिया की तात्क्षणिक दर कहा जाता है|
       तात्क्षणिक दर के निर्धारण में समय अंतराल ∆t का मान बहुत छोटा लिया जाता है जिससे समय अंतराल में होने वाले दर परिवर्तन में परिवर्तन का मान न्यूनतम हो| गणित में इस मान को ∆ के स्थान पर d से व्यक्त करते हैं|
तात्क्षणिक दर = (औसत दर)∆t->0
अभिक्रिया, A---> B के लिए 
तात्क्षणिक दर = -d[A] /dt = d[B] /dt
उदाहरण के लिए अभिक्रिया, 
H2 + Cl2 ----> 2HCl के लिए
तात्क्षणिक दर = -d[H2] /dt = -d[Cl2] /dt = 1/2 d[HCl]/dt

Question -
एक बंद बर्तन में गैसीय प्रावस्था में रासायनिक अभिक्रिया 2A <==> 4B + C  संपन्न होती है| 10 सेकंड में B की सांद्रता में होने वाली वृद्धि 5×10´3mol/L है| निम्न की गणना कीजिए- (1) B के संभवन की दर 
(2) A के लुप्त होने की दर
Solution -
अभिक्रिया 2A <==> 4B + C  के लिए 
अभिक्रिया की दर =-1/2∆[A] /∆t = 1/4∆[B] /∆t = ∆[C] /∆t 
प्रश्नानुसार, ∆[B] =  5×10´3mol/L तथा ∆t = 10s 

(1) B के संभवन की दर = ∆[B] /∆t = 5×10´3 / 10 = 5×10´4 mol/L/s 

(2) A के लुप्त होने की दर =-∆[A] /∆t = 2/4∆[B] /∆t = 1/2×5×10´4 = 2.5×10´4 mol/L/s 

Sunday, December 27, 2020

रासायनिक बलगतिकी और अभिक्रिया की दर (अभिक्रिया का वेग) (Chemical kinetics and reaction rate)

रासायनिक बलगतिकी और अभिक्रिया की  दर (अभिक्रिया का वेग) 
(Chemical kinetics and reaction rate)

रासायनिक बलगतिकी   
(Chemical kinetics)- 
रसायन विज्ञान की वह शाखा जिसमें रासायनिक अभिक्रिया की दर तथा उनकी क्रियाविधि का अध्ययन किया जाता है रासायनिक बलगतिकी कहलाती है|

अभिक्रिया की  दर (अभिक्रिया का वेग) 
(Reaction rate)-
इकाई समय में किसी भी क्रियाकारी पदार्थ या किसी भी उत्पाद के सांद्रण में होने वाले परिवर्तन को अभिक्रिया का वेग या रासायनिक अभिक्रिया की दर कहा जाता है|
अभिक्रिया का वेग(अभिकारक की दर) = क्रियाकारी पदार्थ या उत्पाद के सांद्रण में परिवर्तन / परिवर्तन में लगा समय

अभिक्रिया की दर के मात्रक-
किसी रासायनिक अभिक्रिया की दर की इकाई molL-1s-1 या molL-1min-1 होती है | 
     किसी अभिक्रिया में यदि क्रियाकारी पदार्थ तथा उत्पाद गैसीय अवस्था में है तो अभिक्रिया के वेग को atms-1 या atm min-1 इकाई में व्यक्त किया जा सकता है|

अभिक्रिया के वेग के आधार पर अभिक्रियाओं के प्रकार-
(1) तात्क्षणिक अभिक्रिया-
वे रासायनिक अभिक्रिया जो बहुत ही जल्दी होती हैं उन्हें तात्क्षणिक अभिक्रियाएं कहा जाता है| इनको होने में लगभग 10´6 से 10`14 सेकंड का समय लगता है|
       इस प्रकार की अभिक्रियाओं को आयनिक अभिक्रियाएं या द्रुत अभिक्रियाएं भी कहा जाता है|
जैसे -
AgNO3 + NaCl ----> AgCl + NaNO3 
(2) मंद अभिक्रिया-
वे रासायनिक अभिक्रिया जो बहुत ही मंद गति से होती हैं उन्हें मंद अभिक्रियाएं कहा जाता है| इनको होने में कुछ महीनों का समय लगता है|
जैसे - लोहे पर जंग लगना 
(3) मध्यम गति अभिक्रिया-
वे रासायनिक अभिक्रिया जो न तो बहुत ही जल्दी होती हैं और न ही बहुत मंद गति से होती हैं उन्हें मध्यम गति अभिक्रियाएं कहा जाता है| 
इनको होने में कुछ मिनट या कुछ सेकंड का समय लगता है|
       इस प्रकार की अभिक्रियाओं को आणविक अभिक्रियाएं भी कहा जाता है|
जैसे -
PCl5 ----> PCl3 + Cl2


नर्स्ट समीकरण (Nernst Equation )

नर्स्ट समीकरण 
(Nernst Equation )
जब एक इलेक्ट्रोड निकाय मानक अवस्था (अर्थात आयनों का सांद्रण=1mol/L, T=298K तथा गैस का दाब=1atm) में स्थित होता है तो इसके मानक इलेक्ट्रोड विभव का मान सीधे विद्युतरासायनिक श्रेणी से प्राप्त किया जा सकता है| लेकिन यदि इलेक्ट्रोड निकाय मानक अवस्था में स्थित नहीं है (अर्थात इसका ताप 298K से भिन्न है,  आयनों का सांद्रण 1mol/L नहीं है तथा गैस का दाम 1atm  से भिन्न है) तो इसके इलेक्ट्रोड विभव को सीधे विद्युत रासायनिक श्रेणी से प्राप्त नहीं किया जा सकता है| इस प्रकार की स्थिति में इलेक्ट्रोड निकाय के इलेक्ट्रोड विभव के मान की गणना एक महत्वपूर्ण समीकरण की सहायता से की जाती है इस समीकरण को नर्स्ट समीकरण कहा जाता है|
       नर्स्ट समीकरण इलेक्ट्रोड विभव तथा इलेक्ट्रोड निकाय के ताप एवं निहित स्पीशीज के सांद्रण के मध्य एक संबंध स्थापित करती है| एक अपचयन इलेक्ट्रोड के लिए नर्स्ट समीकरण को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है-

E=E°-RT/nF loge[अपचयित अवस्था]/[ऑक्सीकृत अवस्था]

जहाँ, 
E= इलेक्ट्रोड निकाय का अपचयन विभव 
E°= उसी इलेक्ट्रोड निकाय का मानक अपचयन विभव 
R= गैस स्थिरांक = 8.314J/Kmol 
T= इलेक्ट्रोड निकाय का ताप 
F= एक  फैराडे = 96500 कूलम्ब 
n= इलेक्ट्रोड पर संपन्न अपचयन प्रक्रिया में ऑक्सीकृत अवस्था के 1 मोल द्वारा अपचयित अवस्था में परिवर्तित होने के लिए ग्रहण किए गए इलेक्ट्रॉनों के मोलों की संख्या
[अपचयित अवस्था] = अपचयित होने वाले पदार्थ का सांद्रण 
[ऑक्सीकृत अवस्था] = अपचयन से प्राप्त पदार्थ का सांद्रण 

जैसे -अभिक्रिया 
Mn+(aq) + ne´ ----> M(s) के लिए 
EMn+/M = E°Mn+/M - RT/nF loge [M(s)] / [Mn+(aq)]

चूँकि एक ठोस के सांद्रण को इकाई माना जाता है अर्थात  [M(s)] = 1
अतः, 
Question - निम्न अभिक्रिया के लिए E.M.F.  की गणना कीजिये 
Mg/Mg2+(0.001M) // Cu2+(0.0001)/Cu 
(दिया है = E° = 2.71V)
Solution -  


Saturday, December 26, 2020

विद्युतरासायनिक श्रेणी (Electrochemical series)

विद्युतरासायनिक श्रेणी (Electrochemical series)

मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड द्वारा किसी भी इलेक्ट्रोड निकाय का मानक इलेक्ट्रोड विभव का मापन किया जा सकता है| विभिन्न इलेक्ट्रोड निकायों के मानक इलेक्ट्रोड विभव (अर्थात मानक अपचयन विभव) के इस प्रकार मापित मानो को एक बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित किया जा सकता है| इस प्रकार प्राप्त व्यवस्था एक अत्यंत महत्वपूर्ण श्रेणी का निर्माण करती है जिसे विद्युत रासायनिक श्रेणी कहा जाता है| इस प्रकार विद्युत रासायनिक श्रेणी विभिन्न इलेक्ट्रोड निकायों के मानक अपचयन विभव के बढ़ते क्रम में व्यवस्था है| कुछ महत्वपूर्ण इलेक्ट्रोड निकायों तथा उनकी अर्द्ध सेल अभिक्रिया युक्त विद्युत रासायनिक श्रेणी निम्न है-
विद्युतरासायनिक श्रेणी की महत्वपूर्ण विशेषताएं-
(1) हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड के साथ जोड़े जाने पर मानक अपचयन विभव के ऋणात्मक मान युक्त इलेक्ट्रोड निकाय एनोड का तथा धनात्मक मान युक्त निकाय कैथोड का कार्य करते हैं|
(2) श्रेणी में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर इलेक्ट्रॉनों को ग्रहण करने की प्रवृति अर्थात अपचयित होने की प्रवृत्ति में वृद्धि होती है|
(3) श्रेणी में नीचे से ऊपर की ओर जाने पर इलेक्ट्रॉनों को त्यागने की प्रवृति अर्थात ऑक्सीकृत होने की प्रवृत्ति में वृद्धि होती है|
(4) श्रेणी में हाइड्रोजन के ऊपर स्थित पदार्थों की अपचयित रूप हाइड्रोजन से अधिक प्रबल अपचायक हैं जबकि हाइड्रोजन के नीचे स्थित पदार्थों के अपचयित रूप हाइड्रोजन की तुलना में दुर्बल अपचायक हैं| इस प्रकार किसी भी पदार्थ का अपचयित रूप श्रेणी में अपने से नीचे स्थित किसी भी पदार्थ के ऑक्सीकृत रूप को अपचयित कर सकता है|

विद्युतरासायनिक श्रेणी के अनुप्रयोग-
(1) धातुओं की क्रियाशीलता का पता लगाने में
(2) एक रेडॉक्स अभिक्रिया के होने की संभावना का पता लगाने में
(3) लवण विलयनों से धातुओं का विस्थापन का पता लगाने में
(4) धातुओं द्वारा तनु अम्लों से हाइड्रोजन का विस्थापन
(5) धातुओं के विद्युत धनात्मक लक्षण तथा उनके ऑक्साइडों का उष्मीय स्थायित्व जानने में
(6) मानक सेल विभव(E°cell) की गणना करने में