शून्य कोटि की अभिक्रियायें -
(Zero order reaction )
ऐसी अभिक्रियाएं जिनमें अभिक्रिया के वेग का मान किसी भी अभिकारक के सांद्रण पर निर्भर नहीं करता है तथा यह मान पूरी अभिक्रिया के समय स्थिर रहता है शून्य कोटि की अभिक्रियायें कहलाती हैं|
अभिक्रिया A -----> product शून्य कोटि की अभिक्रिया होगी, यदि इसके लिए वेग नियम निम्न है-
Rate = k[A]0 = k
शून्य कोटि की अभिक्रियाओं के कुछ मुख्य उदाहरण निम्न हैं -
(a) जल की सतह पर H2 तथा Cl2 का प्रकाश रासायनिक संयोग-
प्रकाश
H2 + Cl2 ------------> 2HCl
प्रायोगिक वेग नियम-
Rate = k [H2]0 [Cl2]0 = k
अभिक्रिया की कोटि = 0
(b) गोल्ड या प्लैटिनम की सतह पर NH3 का विघटन-
2NH3 ------------> N2 + 3H2
प्रायोगिक वेग नियम-
Rate = k [2NH3]0 = k
अभिक्रिया की कोटि = 0
शून्य कोटि अभिक्रिया के लिए वेग स्थिरांक के मात्रक-
शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिए,
Rate = k[A]0 = k
= molL-1s-1
अतः शून्य कोटि की अभिक्रिया के वेग स्थिरांक का मात्रक molL-1s-1होता है|
शून्य कोटि की अभिक्रिया के लिए वेग समीकरण या समाकलित वेग समीकरण-
माना कि निम्न अभिक्रिया शून्य कोटि की है-
A -------> product
t=0 a 0
t=t a-x x
द्रव्य अनुपाती क्रिया के नियम से-
Rate = k[A]0
r = k -------(1)
बलगतिकी के नियमानुसार-
r = dx/dt -------(2)
समीकरण 1 व 2 से
k = dx/dt
dx = kdt
समाकलन करने पर
✓dx = k✓dt
x = kt + C ------(3)
प्रारंभिक समय में
t = 0, x = 0
यह मान समीकरण 3 में रखने पर
C = 0
C का मान समीकरण 3 में रखने पर
x = kt + 0
x = kt
या,
k = x/t
अर्द्ध-आयु काल -
किसी अभिक्रिया के आधे भाग के पूर्ण होने में लगने वाले समय अर्थात किसी अभिक्रिया में अभिकारकों की प्रारंभिक मात्रा के आधे भाग के क्रिया करने में लगने वाले समय को उस अभिक्रिया की अर्द्ध-आयु कहा जाता है|
इसे t1/2 से प्रदर्शित करते हैं |
अतः शून्य कोटि अभिक्रिया के लिए -
t = t1/2
x = a/2
क्योंकि k = x/t
या, k = a/2 ÷ t1/2
अतः t1/2 = a/2k
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