Advance Chemistry : संक्रमण तत्वों के सामान्य गुण(General properties of Transition elements)

Monday, November 16, 2020

संक्रमण तत्वों के सामान्य गुण(General properties of Transition elements)

संक्रमण तत्वों के सामान्य गुण(General properties of Transition elements)
 संक्रमण तत्वों के प्रमुख सामान्य गुण निम्न प्रकार हैं-

(1) परमाणु त्रिज्याएँ-
संक्रमण तत्वों की परमाणु त्रिज्याये s-ब्लॉक के तत्वों से कम जबकि p-ब्लॉक के तत्वों से अधिक होती हैं|
👉 सामान्यतः एक विशिष्ट श्रेणी से संबंधित संक्रमण तत्वों की परमाणु त्रिज्या परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ घटती जाती है| परमाणु त्रिज्या में कमी श्रेणी के मध्य के बाद थोड़ी कम हो जाती है|
    इसका कारण यह है कि परमाणु क्रमांक में वृद्धि के साथ आने वाला इलेक्ट्रॉन (n-1)d-उपकोश में प्रवेश पाता है और वाह्यतम इलेक्ट्रॉन को आवरणित करता है| आवरण प्रभाव d- इलेक्ट्रॉनों के बढ़ने के साथ बढ़ता जाता है| इस प्रकार नाभिकीय आवेश में हुई वृद्धि आवरणी प्रभाव द्वारा संतुलित हो जाता है| अतः प्रत्येक श्रेणी के मध्य के बाद परमाणु त्रिज्याये लगभग समान रहती हैं|
👉 प्रत्येक श्रेणी के अंत में परमाणु त्रिज्याओं में थोड़ी वृद्धि पाई जाती है|
         इसका कारण यह है कि श्रेणी के अंत में उस ऑर्बिटल में प्रवेशित इलेक्ट्रॉनों के बीच इलेक्ट्रॉन प्रतिकर्षण नाभिकीय आवेश में वृद्धि के बाद उत्पन्न आकर्षण बल पर प्रभावी हो जाता है| इस कारण इलेक्ट्रॉन मेघ का विस्तार होता है जिसके फलस्वरूप परमाणु त्रिज्या में वृद्धि होती है|

(2) आयनिक त्रिज्याएँ -
संक्रमण तत्वों की आयनिक त्रिज्याएँ भी उनकी परमाणु त्रिज्याओं के समान ही लक्षण प्रदर्शित करती हैं| आयनों की त्रिज्याएँ विभिन्न ऑक्सीकरण अवस्थाओं में भिन्न-भिन्न होती हैं| सामान्यतः आयनिक त्रिज्याएँ ऑक्सीकरण अवस्था में वृद्धि के साथ घटती है |
(3) धात्विक गुण-
लगभग सभी संक्रमण तत्व विशिष्ट धात्विक गुणों जैसे- धात्विक चमक, आघातवर्धनीयता, उच्च तन्य शक्ति तथा उच्च ऊष्मीय एवं विद्युत चालकता आदि  को प्रदर्शित करते हैं|
(4)  जालक संरचनाएं-
लगभग सभी संक्रमण धातुओं में सरल hcp (hexagonal close packing), ccp(cubic close packing) या bcc(body centered cubic packing) जालक पाए जाते हैं|
(5) घनत्व -
किसी संक्रमण श्रेणी में बाएं से दाएं और जाने पर संक्रमण तत्वों के घनत्व में वृद्धि होती है क्योंकि किसी श्रेणी में बाएं से दाएं और जाने पर परमाणु त्रिज्या और इस प्रकार परमाण्विक आयतन में कमी होती है, जबकि परमाणु द्रव्यमान में वृद्धि होती है| इस कारण घनत्व में वृद्धि होती है| जिंक के अपेक्षाकृत कम घनत्व का कारण उसके परमाण्विक आयतन का अधिक होना है|
(6) गलनांक एवं क्वथनांक-
संक्रमण तत्वों के गलनांक एवं क्वथनांक सामान्यता काफी अधिक होते हैं| संक्रमण तत्वों के उच्च गलनांक एवं क्वथनांक उनमें उपस्थित धात्विक बंधों की शक्ति के कारण होते हैं| धात्विक बंधों की शक्ति अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करती है| अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या जितनी अधिक होगी धात्विक बंध उतना ही अधिक मजबूत होगा| एक संक्रमण श्रेणी में बाएं से दाएं ओर जाने पर मध्य तक अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या में वृद्धि होती है| मध्य के बाद अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या घटने लगती है, इस कारण मध्य के बाद श्रेणी में तत्वों के गलनांक और क्वथनांक लगातार घटते जाते हैं|
(7) आयनन एंथैल्पी या आयनन ऊर्जा-
संक्रमण तत्वों की आयनन ऊर्जा के मान s-ब्लॉक तत्वों की आयनन ऊर्जाओं के मान से अधिक लेकिन p-ब्लॉक तत्वों की आयनन ऊर्जाओं के मान से कम होते हैं |प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों की प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय आयनन एंथैल्पी के मान निम्न हैं-

👉 किसी दी गई संक्रमण श्रेणी में प्रथम आयनन ऊर्जाओं के मान परमाणु क्रमांक के बढ़ने के साथ बढ़ते हैं| यद्यपि यह वृद्धि नियमित नहीं होती है क्योंकि प्रवेशित इलेक्ट्रॉन (n-1)d उपकोश में प्रवेश पाता है तथा नाभिक से संयोजी इलेक्ट्रॉनों को आवरणित करता है| यही कारण है कि परमाणु क्रमांक की वृद्धि के साथ आयनन उर्जा में वृद्धि अपेक्षाकृत कम एवं अनियमित होती है|
(8) रंगीन आयनों का निर्माण-
संक्रमण धातुओं के अधिकतर यौगिक जलीय विलियन में और ठोस अवस्था में भी रंगीन होते हैं| यह s तथा p- ब्लॉक तत्वों के यौगिकों के विपरीत हैं जो कि सामान्यतः रंगहीन होते हैं|
     संक्रमण धातु आयनों का रंगीन होना विदलित d-ऑर्बिटलों में d-d संक्रमण के कारण होता है|
👉 पूर्ण रूप से भरे हुए d-ऑर्बिटल तथा पूर्ण रूप से रिक्त d-orbital वाले संक्रमण धातु आयन रंगहीन होते हैं| जबकि आधे भरे हुए या खाली d-ऑर्बिटलों वाले संक्रमण धातु रंगीन होते हैं|
(9) चुंबकीय गुण-
चुंबकीय व्यवहार के आधार पर पदार्थों को दो भागों में बांटा जा सकता है-
(a) अनुचुंबकीय पदार्थ-
वे पदार्थ जो चुंबकीय क्षेत्र में आकर्षित हो जाते हैं उन्हें अनुचुंबकीय पदार्थ कहते हैं और यह व्यवहार अनुचुंबकत्व कहलाता है| कोई पदार्थ अनुचुंबकीय व्यवहार तभी प्रदर्शित करता है जब उसके पास एक या एक से अधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं|
(b) प्रतिचुंबकीय पदार्थ-
वे पदार्थ जो चुंबकीय क्षेत्र में प्रतिकर्षित हो जाते हैं प्रतिचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं तथा यह गुण प्रति चुंबकत्व कहलाता है| कोई पदार्थ सभी इलेक्ट्रॉन युग्मित होने की दशा में ही प्रतिचुंबकत्व व्यवहार प्रदर्शित करता है|

पदार्थ का अनुचुंबकीय प्रभाव चुंबकीय आघूर्ण के रूप में व्यक्त किया जाता है| जिसे बोहर मैग्नेटोंस(B.M.)  के रूप में व्यक्त किया जाता है| 
अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या के रूप में चुंबकीय आघूर्ण को निम्न प्रकार से लिख सकते हैं-

(10) उत्प्रेरकीय गुण-
बहुत सी संक्रमण धातु में एवं उनके यौगिक विशेषतः ऑक्साइडस अनेक रासायनिक अभिक्रिया में उत्प्रेरक की तरह कार्य करते हैं| आयरन, कोबाल्ट, निकिल, प्लैटिनम, क्रोमियम तथा उनके यौगिक एक साधारणतः उत्प्रेरक की भांति प्रयोग किए जाते हैं|
 इसका कारण यह होता है कि संक्रमण धातु के d-उपकोश में रिक्त d-ऑर्बिटल होते हैं|
जैसे - हैबर विधि से अमोनिया बनाने में Fe एक उत्प्रेरक है |
(11) संकर यौगिक या जटिल यौगिकों का निर्माण-
संक्रमण धातु आयन एक बड़ी संख्या में जटिल यौगिकों का निर्माण करते हैं| इन यौगिकों में संक्रमण धातु आयन उन ऋणायन या उदासीन अणुओं के साथ संयोग करते हैं जिनमें इलेक्ट्रॉनों के एकाकी युग्म उपस्थित हों| केंद्रीय संक्रमण धातु आयन से जुड़े ऋण आयन या उदासीन अणुओं को लिगेंड कहते हैं| प्रत्येक लिगेंड उपसहसंयोजक बंध बनाने के लिए केंद्रीय धातु आयन को एक इलेक्ट्रॉन युग्म प्रदान करता है|
जैसे - K4[Fe(CN)6]
(12) अंतराकाशी यौगिकों का निर्माण-
अंतराकाशी यौगिक उन यौगिकों को कहा जाता है जिनका निर्माण धातुओं के क्रिस्टल जालक के भीतर H,C,या N जैसे छोटे परमाणुओं के आबद्ध हो जाने के कारण होता है| संक्रमण धातु, अन्य तत्वों जैसे- हाइड्रोजन, कार्बन, नाइट्रोजन, बोरॉन आदि के साथ संयोग करके बहुत अधिक संख्या में अंतराकाशी यौगिकों का निर्माण करते हैं| इन तत्वों के छोटे परमाणु संक्रमण धातु जालक में उपस्थित रिक्त स्थान में समाहित हो जाते हैं तथा इस प्रकार अंतराकाशी यौगिकों का निर्माण करते हैं| अंतराकाशी यौगिकों के निर्माण से धातु के कई भौतिक गुण जैसे- घनत्व, कठोरता, दृढ़ता, आघातवर्धनीयता तथा विद्युत चालकता आदि परिवर्तित हो जाते हैं|
 इस्पात एवं ढलवा लोहा आयरन के कार्बन के साथ बनाए गए अंतराकाशी यौगिकों के उदाहरण हैं|
(13) मिश्रधातु निर्माण-
संक्रमण धातु आपस में संयोग करके कई प्रकार की मिश्र धातुओं का निर्माण करती हैं| विभिन्न प्रकार के मिश्र धातु इस्पात तथा stainless-steel वास्तव में आयरन तथा अन्य धातुओं जैसे क्रोमियम, वैनेडियम, मॉलीब्लेडिनम, टंगस्टन, मैग्नीज आदि द्वारा निर्मित मिश्र धातु हैं|
जैसे - पीतल, काँसा आदि 

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