(1) केंद्रीय धातु परमाणु या आयन-
उप-सहसंयोजन यौगिक में कुछ निश्चित परमाणु या परमाणु का समूह (लीगैंड) एक धातु परमाणु या आयन से स्थाई रूप से जुड़ा रहता है| इस धातु परमाणु या आयन को केंद्रीय धातु परमाणु या आयन कहते हैं|
जैसे- K[Ag(CN)2] में Ag+ केंद्रीय धातु आयन है|
(2) लीगैंड-
वह आणविक या आयनिक स्पीशीज, जो संकर यौगिक में केंद्रीय धातु परमाणु या आयन से स्थाई रूप से जुड़ी होती हैं, लीगैंड कहलाती है|
जैसे-
K[Ag(CN)2] में CN´ आयन लीगैंड है|
लीगैंड केंद्रीय धातु से उप-सहसंयोजक बंध द्वारा जुड़े होते हैं|
(3) संकर या जटिल आयन-
वैद्युत रुप से आवेशित वह स्पीशीज, जो केंद्रीय धातु परमाणु या आयन के एक या अधिक लीगैंड के साथ संयोग करने से निर्मित होती है संकर आयन कहलाती है| जैसे- [Fe(CN)6]4- एक संकर आयन है|
एक संकर आयन ऋण आवेशित या धन आवेशित दोनों प्रकार का हो सकता है| धन आवेशित संकर आयन को धनायनिक संकर आयन तथा ऋण आवेश वाले संकर आयन को ऋण आयनिक संकर आयन कहा जाता है|
जैसे-
धनायनिक संकर आयन -
[Ag(NH3)2]+
[Cu(NH3)4]++
[Co(NH3)6]+++
ऋणायनिक संकर आयन -
[Fe(CN)6]4-
[Ag(CN)2]-
[Cu(Cl)4]--
(4) उप-सहसंयोजन तथा आयनिक मंडल-
केंद्रीय धातु परमाणु तथा उससे जुड़े लीगैंड को संकर यौगिक का उप-सहसंयोजन मंडल कहा जाता है| जो भाग जल में आयनित हो जाता है (बड़े कोष्टक के बाहर लिखी स्पीशीज) उसे संकर यौगिक का आयनिक मंडल कहा जाता है| जैसे- [Cu(NH3)4]SO4 विलयन निम्न प्रकार अायनित होता है-
[Cu(NH3)4]SO4 <===> [Cu(NH3)4]2+ + SO4´´
इसमें [Cu(NH3)4]2+ उप-सहसंयोजक मंडल तथा SO4´´ आयनिक मंडल है|
(5) उप-सहसंयोजन बहुभुज-
केंद्रीय धातु परमाणु या आयन से सीधे जुड़े लीगैंडो की त्रिविमीय व्यवस्था केंद्रीय परमाणु के चारों ओर बहुभुज बना देती है जिसे उपसहसंयोजन बहुभुज कहते हैं| उपसहसंयोजन बहुभुज चतुष्कफलकीय, वर्गाकार, तलीय, षटकोणीय, त्रिकोणीय, आदि आकृति के होते हैं|
(6) धनायनिक,ऋणायनिक तथा उदासीन संकर यौगिक-
(A) धनायनिक संकर-
वे यौगिक जिनमें कुल उपस्थित आवेश धनात्मक होता है, उन्हें धनायनिक संकर यौगिक कहते हैं|
जैसे- [Co(NH3)6]Cl3
[Fe(H2O)6]Cl3
(B) ऋणायनिक संकर-
वे यौगिक जिनमें संकर आयन का आवेश ऋणात्मक होता है, उन्हें ऋणायनिक संकर यौगिक कहते हैं|
जैसे- K[Ag(CN)2]
K4[Fe(CN)6]
(C) उदासीन संकर-
वे संकर यौगिक जिन पर कोई आवेश नहीं होता है, उन्हें उदासीन संकर यौगिक कहते हैं|
जैसे- [Pt(NH3)2Cl2]
[Ni(CO)4]
(7) उपसहसंयोजन संख्या या समन्वय संख्या-
लीगैंड की वह अधिकतम संख्या जो कि किसी केंद्रीय धातु परमाणु या आयन के साथ संयोग करती है, उसे उस केंद्रीय धातु परमाणु या आयन की उपसहसंयोजन संख्या कहा जाता है|
जैसे- K4[Fe(CN)6] में केंद्रीय Fe++ आयन से 6CN- लिगेंड जुड़े हैं अतः इसकी उपसहसंयोजक संख्या 6 है|
(8) केंद्रीय धातु परमाणु की ऑक्सीकरण संख्या-
केंद्रीय धातु परमाणु के अन्य परमाणु या परमाणु समूहों (लिगेंड) से संयोग के पश्चात उस पर उपस्थित शुद्ध वैद्युत आवेश की संख्या को केंद्रीय धातु परमाणु या आयन की ऑक्सीकरण संख्या कहा जाता है|
जैसे- K4[Fe(CN)6] में आयरन की ऑक्सीकरण संख्या +2 है|
(9) होमोलेप्टिक एवं हेट्रोलेप्टिक संकर यौगिक-
वह संकर यौगिक जिसमें केंद्रीय धातु परमाणु या आयन केवल एक प्रकार के दाता समूह (लिगेंड) से जुड़ा होता है वह होमोलेप्टिक संकर यौगिक कहलाता है|
जैसे- [Fe(CN)6]4- ,
[Co(NH3)6]3+
जिन संकर यौगिकों में केंद्रीय धातु एक साथ एक से अधिक प्रकार के दाता समूहों से जुड़ा होता है वह हेट्रोलेप्टिक संकर यौगिक कहलाते हैं
जैसे- [Cu(NH3)4Cl2]+,
[Co(NH3)5SO4]+
No comments:
Post a Comment