उप-सहसंयोजन रसायन-
रसायन विज्ञान की वह शाखा जिसमें उपसहसंयोजन यौगिकों या संकर यौगिकों का अध्ययन किया जाता है, उपसहसंयोजन रसायन कहलाती है|
द्विक-लवण तथा उप-सहसंयोजन यौगिक में अंतर-
(1) द्विक लवण(Double salt )-
ये वे आणविक या योगात्मक यौगिक हैं जो कि ठोस अवस्था में रहते हैं परंतु जल में घोलने पर यह अपने घटक आयनों में वियोजित हो जाते हैं| इस प्रकार घटक विलयन में अपनी पहचान खो देते हैं| यह लवण सामान्यतः दो लवणों को आपस में मिलाकर बनाए जाते हैं|
जैसे -
(a) पोटाश एलम,K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O
K2SO4 + Al2(SO4)3 + 24H2O -->
K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O
जब पोटाश एलम को जल में घोला जाता है तो यह अपनी पहचान खोकर अपने आयनों में टूट जाता है|
K2SO4.Al2(SO4)3.24H2O ----> 2K+ + 2Al3+ + 4SO42- + 24H2O
(b) मोहर लवण, FeSO4.(NH4)2SO4.6H2O
FeSO4 + (NH4)2SO4 + 6H2O -->
FeSO4.(NH4)2SO4.6H2O
जब मोहर लवण को जल में घोला जाता है तो यह अपनी पहचान खोकर अपने आयनों में टूट जाता है|
FeSO4.(NH4)2SO4.6H2O ----> Fe2+ + 2NH4+ + 2SO42- + 6H2O
(2) उप-सहसंयोजन यौगिक-
उप-सहसंयोजन यौगिक या उप-सहसंयोजक यौगिक वे आणविक या योगात्मक यौगिक होते हैं जिनमें केंद्रीय धातु परमाणु या आयन स्थाई रूप से कुछ निश्चित परमाणु या परमाणु के समूहों से जुड़ा रहता है, जिन्हें लीगैंड कहते हैं| लिगैंड कम से कम एक इलेक्ट्रॉन युग्म को केंद्रीय धातु या आयन को प्रदान करके उससे एक उप-सहसंयोजक बंध द्वारा जुड़ने की प्रवृति रखते हैं|
जैसे -K4[Fe(CN)6
यह विलयन में निम्न प्रकार वियोजित होता है-
K4[Fe(CN)6 <===> 4K+ + [Fe(CN)6]
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