कार्बोहाइड्रेट्स कार्बन, हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले कार्बनिक यौगिक हैं तथा इन्हें जैव अणुओं का सर्वाधिक महत्वपूर्ण वर्ग माना जा सकता है| यह प्रकृति में प्रचुरता में पाए जाते हैं| ग्लूकोज, फ्रक्टोज, स्टार्च, सुक्रोज, सेल्यूलोज आदि प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले कुछ कार्बोहाइड्रेट्स हैं|
कार्बोहाइड्रेट्स कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन द्वारा बने होते हैं| अधिकांश कार्बोहाइड्रेट्स में हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन जल के समान ही 2:1 अनुपात में उपस्थित होते हैं| अतः इन्हें सामान्य सूत्र Cx(H2O)y के द्वारा व्यक्त किया जा सकता है जहां x एवं y पूर्णांक हैं| पहले उपरोक्त तथ्य के आधार पर ऐसा मत था कि ये यौगिक कार्बन के हाइड्रेट्स हैं| अतः इन्हे कार्बोहाइड्रेट्स नाम दिया गया| कुछ समय पश्चात यह ज्ञात हुआ कि इन यौगिकों में हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन जल अणुओं के रूप में उपस्थित नहीं हैं| इसके अतिरिक्त इस वर्ग के अनेक यौगिकों जैसे- रैमनोज (C6H12O5), डीऑक्सीराइबोज(C5H10O4), आदि में हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन का अनुपात 2:1 नहीं होता है तथा इन्हे कार्बन के हाइड्रेट के रूप में प्रदर्शित नहीं किया जा सकता है| इस प्रकार यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि कार्बोहाइड्रेट्स कार्बन के हाइड्रेट्स नहीं हैं| वास्तव में कार्बोहाइड्रेट में ऑक्सीजन एल्डिहाइड (-CHO),कीटो (>C=O) या हाइड्रॉक्सिल(-OH) समूहों के रूप में उपस्थित रहता है|
वर्तमान में कार्बोहाइड्रेट्स को निम्न प्रकार परिभाषित करते हैं-
कार्बोहाइड्रेट्स पॉलीहाइड्रॉक्सी एल्डिहाइड या पॉलीहाइड्रॉक्सी कीटोन या वे वृहत बहुलक अणु हैं जो जलअपघटन पर पॉलीहाइड्रॉक्सी एल्डिहाइड एवं पॉलीहाइड्रॉक्सी कीटोन उत्पन्न करते हैं|
कार्बोहाइड्रेट्स का वर्गीकरण (Classification of Carbohydrates )-
[A] जल अपघटन पर व्यवहार के आधार पर वर्गीकरण-
इस आधार पर कार्बोहाइड्रेट्स को निम्नलिखित तीन भागों में बांटा जा सकता है-
(1) मोनोसैकेराइड्स (monosaccharides)-
ये वे पॉली हाइड्रॉक्सी एल्डिहाइड या पॉलीहाइड्रॉक्सी कीटोंस होते हैं जो जल अपघटन द्वारा पुनः सरल कार्बोहाइड्रेट्स में अपघटित नहीं होते हैं|
इस प्रकार यह सरलतम कार्बोहाइड्रेट्स हैं एवं जलअपघटित नहीं किए जा सकते| इनका सामान्य सूत्र (CH2O)n है जहां n= 3-7 है|
मोनोसैकेराइड्स के कुछ सामान्य उदाहरण ग्लूकोज (C6H12O6), फ्रक्टोज (C6H12O6), गैलेक्टोज (C6H12O6), राइबोज (C6H12O5), आदि हैं|
(2)ऑलिगोसैकेराइड्स (oligosaccharides)-
वे कार्बोहाइड्रेट्स जो जल अपघटन पर एक निश्चित संख्या में (2-10) मोनोसैकेराइड अणुओं का निर्माण करते हैं ओलिगोसैकेराइड्स कहलाते हैं|
एक ओलिगोसैकेराइड अणु मोनोसैकेराइड इकाइयों की एक निश्चित संख्या (2-10) द्वारा निर्मित होते हैं| जब उनका जल अपघटन किया जाता है तो यह विखंडित होकर इन इकाइयों का निर्माण करता है| जल अपघटन पर निर्मित मोनोसैकेराइड इकाइयों की संख्या के आधार पर इन्हें पुनः निम्न भागों में बांटा जा सकता है-
(i) डाईसैकेराइड्स (Disaccharides)-
वे कार्बोहाइड्रेट्स जो जल अपघटन पर समान या भिन्न प्रकार की मोनोसैकेराइड्स की दो इकाइयों का निर्माण करते हैं डाईसैकेराइड कहलाते हैं| जैसे- सुक्रोज़( C12H22O11), माल्टोज(C12H22O11),लैक्टोज (C12H22O11) आदि
C12H22O11+ H2O ------> C6H12O6 + C6H12O6
(ii) ट्राईसैकेराइड्स (Trisaccharides)-
वे कार्बोहाइड्रेट्स जो जल अपघटन पर समान या भिन्न प्रकार की मोनोसैकेराइड्स की तीन इकाइयों का निर्माण करते हैं ट्राईसैकेराइड कहलाते हैं| जैसे- रैफिनोज़( C18H32O16)
C18H32O16+ H2O ------> C6H12O6 + C6H12O6 + C6H12O6
(iii) टेट्रासैकेराइड्स (Tetrasaccharides)-
वे कार्बोहाइड्रेट्स जो जल अपघटन पर समान या भिन्न प्रकार की मोनोसैकेराइड्स की चार इकाइयों का निर्माण करते हैं टेट्रासैकेराइड कहलाते हैं| जैसे- स्टैकाईरोज ( C24H42O21)
C24H42O21+ H2O ------> C6H12O6 + C6H12O6 + 2C6H12O6
(3) पॉलीसैकेराइड्स (Polysaccharides)-
वे कार्बोहाइड्रेट्स जो जल अपघटन पर अत्यधिक संख्या में मोनोसैकेराइड्स अणुओ का निर्माण करते हैं पॉलीसैकेराइड्स कहलाते हैं| पॉलिसैकेराइड्स वास्तव में उच्च अणुभार वाले बहुलक होते हैं| एक पॉलिसैकेराइड अणु बहुत सी मोनोसैकेराइड्स इकाईयों द्वारा निर्मित होता है| जब अणु का जल अपघटन किया जाता है तो घटक इकाइयां अलग हो जाती हैं| इस प्रकार यह जल अपघटन पर अत्यधिक संख्या में मोनोसैकेराइड्स इकाइयों का निर्माण करते हैं| पॉलिसैकेराइड का सामान्य सूत्र (C6H10O5)n है जहां n= 100-3000 है|
पॉलिसैकेराइड के कुछ सामान्य उदाहरण स्टार्च, सेल्यूलोज, ग्लाइकोजन आदि हैं|
[B] स्वाद के आधार पर -
(1) शर्करा -
मीठे स्वाद वाले कार्बोहाइड्रेट्स को शर्करा कहा जाता है| सभी मोनोसैकेराइड्स डाईसैकेराइड्स इस श्रेणी से संबंधित हैं| ग्लूकोज, फ्रक्टोज, सुक्रोज, लेक्टोज आदि शर्कराओं के कुछ सामान्य उदाहरण हैं|
(2) अशर्करा-
वे कार्बोहाइड्रेट जो स्वाद में मीठे नहीं होते हैं, अशर्करा कहलाते हैं| स्वाद रहित पॉलीसैकेराइड्स इस श्रेणी से संबंधित हैं| स्टार्च, सेल्युलोस आदि अशर्कराओं के सामान्य उदाहरण हैं|
[C] अपचायक क्षमता के आधार पर -
(1) अपचायक शर्करा -
वे कार्बोहाइड्रेट जो टॉलन अभिकर्मक एवं फेहलिंग विलयन को अपचयित करने में सक्षम होते हैं, उन्हें अपचायक शर्करा कहा जाता है| सुक्रोज को छोड़कर सभी मोनोसैकेराइड्स एवं डाईसैकेराइड्स अपचायक शर्करायें हैं|
(2) अनअपचायक शर्करा -
वे कार्बोहाइड्रेट्स जो टॉलन अभिकर्मक एवं फेहलिंग विलयन को अपचयित करने में असमर्थ होते हैं, अनअपचायक शर्करा कहलाते हैं| सुक्रोज एक अनअपचायक शर्करा है|