एक गैल्वेनिक सेल में विद्युत धारा की उत्पत्ति के लिए उत्तरदायी रासायनिक अभिक्रिया एक रेडॉक्स अभिक्रिया होती है| इस रेडॉक्स अभिक्रिया को ही उस सेल की सेल अभिक्रिया कहा जाता है|
जैसे -
इस सेल में
ऑक्सीकरण अर्द्ध सेल अभिक्रिया
Zn ----> Zn2+ + 2e´
अपचयन अर्द्ध सेल अभिक्रिया
Cu2+ + 2e´ ----> Cu
इस सेल की सेल अभिक्रिया निम्न होगी-
Zn + Cu2+ ----> Zn2+ + Cu
उपरोक्त रेडॉक्स अभिक्रिया ही डेनियल सेल द्वारा विद्युत धारा की उत्पत्ति के लिए उत्तरदायी है|
एक गैल्वेनिक सेल रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है| कार्य करने की दशा में अर्थात सेल अभिक्रिया के संपन्न होने की दशा में सेल विद्युत आवेश को बाह्य परिपथ में प्रेषित कर एक विद्युत कार्य संपन्न करता है| सेल में किया गया वैद्युत कार्य सेल की मुक्त ऊर्जा में कमी के संगत होता है| सेल अभिक्रिया में निहित मुक्त ऊर्जा परिवर्तन तथा सेल के सेल विभव ( EMF) के मध्य एक निश्चित संबंध है|
जब सेल उत्क्रमणीय रूप में विद्युत कार्य करता है अर्थात सेल से एक अनंत अल्प विद्युत धारा ली जाती है तो मुक्त ऊर्जा परिवर्तन सेल के द्वारा किए गए वैद्युत कार्य के बराबर होता है| अतः
∆rG = w elect
माना कि गैल्वेनिक सेल में संपन्न होने वाली सेल अभिक्रिया में इलेक्ट्रॉनों के n मोलों का स्थानांतरण होता है तथा सेल का सेल विभव(EMF) E है तो
सेल अभिक्रिया में निहित कुल आवेश = nF
जहां F फैराडे स्थिरांक है|
अतः सेल द्वारा संपन्न वैद्युत कार्य,
w elect = आवेश × EMF
या,
w elect = -nFEcell
या,
∆rG = -nFEcell
चूँकि तंत्र द्वारा किया गया कार्य ऋणात्मक माना जाता है|
यदि सेल मानक अवस्थाओं में कार्य कर रहा है तो
∆rG° = -nFE°cell