कोलॉयडी विलयनों के निर्माण की अनेकों विधियां हैं| कुछ प्रमुख विधियां निम्न प्रकार हैं-
(1) रासायनिक विधियां-
परमाण्विक या आयनिक आकार के छोटे कणों को विभिन्न रासायनिक विधियों द्वारा कोलाइडी आकार के कणों में संगुणित किया जा सकता है|
जैसे-
(a) ऑक्सीकरण-
H2S + Br2 ------> S + 2HBr
(b) अपचयन -
2AuCl3 + 3SnCl2 ----> 2Au + 3SnCl4
(c) उभय अपघटन -
As2O3 + 3H2S -----> As2S3 + 3H2O
(2) ब्रेडिंग आर्क विधि-
इस विधि में परिक्षेपण माध्यम में उपस्थित धातुओं के दो इलेक्ट्रोडो के बीच वैद्युत आर्क उत्पन्न किया जाता है| परिक्षेपण माध्यम को एक शीतलन मिश्रण के द्वारा ठंडा करते हैं| आर्क के द्वारा उत्पन्न बहुत अधिक ताप थोड़ी सी धातु को वाष्पित कर देता है| यह वाष्प संघनित होकर कोलाइडी आकार के कण बनाती है| इस प्रकार बनने वाले कोलाइडी कण माध्यम में परिक्षिप्त होकर धातु का सॉल बनाते हैं|
(3) पेप्टीकरण -
वह प्रक्रम जिसमें ताजे बने अवक्षेप को किसी उचित विद्युत अपघट्य का उपयोग करके कोलाइडी विलियन में परिवर्तित किया जाता है, पेप्टिकरण कहलाता है| इसमें उपयोग किए जाने वाले विद्युत अपघट्य को पेप्टीकारक होते हैं|
जैसे -
फेरिक हाइड्रोक्साइड के ताजे बने अवक्षेप में जब फेरिक क्लोराइड की थोड़ी सी मात्रा मिलाई जाती है तो फेरिक हाइड्रोक्साइड का लाल भूरे रंग का कोलाइडी विलयन बनता है|
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