Advance Chemistry : कार्बोक्सिलिक अम्लों के भौतिक गुण(Physical properties of Carboxylic acid )

Wednesday, September 23, 2020

कार्बोक्सिलिक अम्लों के भौतिक गुण(Physical properties of Carboxylic acid )

कार्बोक्सिलिक अम्लों के भौतिक गुण(Physical properties of Carboxylic acid )
इनके महत्वपूर्ण भौतिक गुण निम्नलिखित हैं-
(1) भौतिक अवस्था रंग तथा गंध-
एलिफैटिक कार्बोक्सिलिक अम्ल परिवार के प्रथम 3 सदस्य अर्थात HCOOH, CH3COOH तथा CH3CH2COOH  रंगहीन तथा तीक्ष्ण गंध वाले द्रव होते हैं| इन से आगे के 6 सदस्य(C4 से C9 ) रंगहीन, तैलीय द्रव तथा हल्की दुर्गंधयुक्त होते हैं| ब्यूटाइरिक अम्ल (C4) में  सड़े मक्खन जैसी गंध होती है| उच्च सदस्य (C10 से आगे) रंगहीन तथा मोम की तरह ठोस पदार्थ होते हैं| कम वाष्पशीलता के कारण इनकी विशिष्ट गंध नहीं होती| बेंजोइक अम्ल तथा अन्य एरोमेटिक अम्ल विशिष्ट गंध रहित रंगहीन ठोस होते हैं|

(2) विलेयता -
एेलिफैटिक कार्बोक्सिलिक अम्ल परिवार के निम्न सदस्य (C4 तक) जल में विलेय होते हैं| C4 के पश्चात विलेयता अणु भार बढ़ने के साथ-साथ तेजी से कम होती है| सात या अधिक कार्बन परमाणु वाले अम्ल जल में लगभग अविलेय होते हैं| बेंजोइक अम्ल ठंडे जल में लगभग अविलेय होता है, परंतु गर्म जल में काफी मात्रा में विलेय होता है|
            कार्बोक्सिलिक अम्लों की विलेयता -COOH समूह तथा जल के अणुओं के बीच हाइड्रोजन बंध बनने के कारण होती है|

---H-O-----H-O-C=O------H-O
        |               |                 |
       H              R               H 

(3) क्वथनांक-
कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक संगत अणुभार वाले हाइड्रोकार्बन की अपेक्षा अधिक होते हैं| इनके क्वथनांक संगत ऐल्कोहल से भी अधिक होते हैं| कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्वथनांक अणुभार बढ़ने के साथ-साथ बढ़ते हैं|
           तुलनीय अणुभार वाले एल्केन तथा ऐल्कोहल की अपेक्षा कार्बोक्सिलिक अम्लों के उच्च क्वथनांक का कारण प्रबल अंतरा आणविक हाइड्रोजन बंधों की उपस्थिति है|

R-C=O-----------H-O-C-R 
    |                          | |
   O-H------------------- O 

(4) गलनांक-
कार्बोक्सिलिक अम्लों के गलनांक नियमित रूप से परिवर्तित नहीं होते हैं| ऐलिफैटिक कार्बोक्सिलिक अम्ल परिवार के प्रथम 10 सदस्यों के गलनांक दोलनात्मक रूप में परिवर्तित होते हैं| वे  अम्ल  जिनमें सम कार्बन परमाणु होते हैं, उनके गलनांक अगले अम्ल जिनमें विषम कार्बन परमाणु पाए जाते हैं, से अधिक होते हैं| इसका कारण यह होता है कि सम कार्बन परमाणु युक्त अम्लों में -COOH  समूह तथा अंतिम CH3 समूह दोनों परस्पर टेढ़ी-मेढ़ी कार्बन श्रृंखला के विपरीत ओर स्थित होते हैं जबकि विषम कार्बन युक्त में यह दोनों समूह टेढ़ी-मेढ़ी कार्बन श्रृंखला के एक ही ओर स्थित होते हैं| जिस कारण इनके अणुओं की व्यवस्था सुदृढ़ नहीं होती है|

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