ऐल्डिहाइड व कीटोन के कुछ महत्वपूर्ण भौतिक गुण निम्न है-
(1) भौतिक अवस्था -
फॉर्मेल्डिहाइड साधारण ताप पर गैस होता है जबकि एसिटेल्डिहाइड द्रव होता है| इनके अतिरिक्त C11 तक के अन्य सभी एल्डिहाइड रंगहीन द्रव होते हैं, जबकि उच्च सदस्य ठोस होते हैं|
C11 तक के सभी कीटोन रंगहीन द्रव होते हैं, जबकि उच्च सदस्य ठोस होते हैं|
(2) गंध -
निम्न एल्डिहाइड की अरुचिकर गंध होती है परंतु अणुभार बढ़ने के साथ-साथ गंध रुचिकर होती जाती है| कीटोन की सामान्यत: रुचिकर गंध होती है| उच्च कीटोन की गंध इतनी रुचिकर होती है कि इनमें से कुछ कीटोन का प्रयोग गंध द्रव्य के रूप में किया जाता है|
(3) ध्रुवीय प्रकृति-
एल्डिहाइड तथा कीटोन में उपस्थित कार्बोनिल समूह ध्रुवीय होता है| इसलिए एल्डिहाइड व कीटोन ध्रुवीय यौगिक होते हैं|
(4) विलेयता-
चार कार्बन परमाणु तक के निम्न एल्डिहाइड तथा कीटोन जल में विलेय होते हैं| कार्बोनिल समूह से लगे एल्किल समूह का आकार बढ़ने के साथ-साथ इनकी जल में विलेयता तीव्रता से घटती है| 5 या अधिक कार्बन परमाणु युक्त एल्डिहाइड व कीटोन जल में या तो बहुत कम विलेय होते हैं या अविलेय होते हैं|
निम्न एल्डिहाइड तथा कीटोंन की जल में विलेयता का कारण जल के अणुओं के साथ इन यौगिकों का हाइड्रोजन बंध बनाना है| प्रकृति में ध्रुवीय होने के कारण निम्न एल्डिहाइड व कीटोन जल के साथ हाइड्रोजन बंध बनाते हैं तथा विलेय हो जाते हैं|
(5) क्वथनांक-
एल्डिहाइड और कीटोन के क्वथनांक तुलनात्मक अणुभार वाले हाइड्रोकार्बन तथा इथर से अधिक होते हैं| इसका कारण भी पुनः एल्डिहाइड तथा कीटोन में उपस्थित कार्बोनिल समूह की ध्रुवीय प्रकृति है|
एल्डिहाइड तथा कीटोन में हाइड्रोजन परमाणु सीधे कार्बन परमाणुओं से संबंधित होता है न कि ऑक्सीजन परमाणु से| इसलिए एल्डिहाइड व कीटोन अंतरा आणविक हाइड्रोजन बंध बनाने में असमर्थ होते हैं| क्योंकि द्विध्रुव- द्विध्रुव अंतः क्रिया अंतरा आणविक हाइड्रोजन बंध से दुर्बल होती है, इसलिए एल्डिहाइड तथा कीटोन के क्वथनांक उनके संगत एल्कोहल तथा कार्बोक्सिलिक अम्लों से बहुत कम होते हैं|
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