फ्रक्टोज एक मोनोसैकेराइड है तथा कीटोज श्रेणी का सदस्य है| यह एक कीटोहैक्सोज है और इसका अणुसूत्र ग्लूकोज के समान ही C6H12O6 है| इसे फल शर्करा भी कहा जाता है|
प्रकृति में प्राप्ति -
यह प्रकृति में मुक्त तथा संयुक्त दोनों अवस्थाओं में पाया जाता है| सभी मीठे फलों एवं शहद में यह मुक्त अवस्था में ग्लूकोज के साथ पाया जाता है| इसी कारण इसे फल शर्करा भी कहा जाता है|
फ्रक्टोज के निर्माण की विधियाँ (Methods of preparation of Fructose)-
(1) प्रयोगशाला विधि -
प्रयोगशाला में फ्रक्टोज को सुक्रोज या इक्षु शर्करा के तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के द्वारा जल अपघटन से प्राप्त किया जा सकता है|
C12H22O11+ H2O ----> C6H12O6 + C6H12O6
(2) औद्योगिक विधि -
व्यापारिक स्तर पर फ्रक्टोज को इन्युलिन के जल अपघटन द्वारा प्राप्त किया जाता है| इन्युलिन डहेलिया के पुष्पों में पाया जाता है| इन्युलिन को तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ गर्म करने पर यह जल अपघटित होकर फ्रक्टोज देता है|
(C6H10O5)n + nH2O ------> nC6H12O6
फ्रक्टोज की संरचना -
यह एक मोनोसैकेराइड है तथा कीटोज श्रेणी का सदस्य है| यह एक कीटोहैक्सोज है और इसका अणुसूत्र C6H12O6 होता है |
फ्रक्टोज भी ग्लूकोज की तरह एक चक्रीय संरचना बनाता है| इसकी भी संरचना पाइरेनोज संरचना होती है |
भौतिक गुण -
(1) प्रकृति में उपलब्ध मुक्त फ्रक्टोज B-D-फ्रक्टोपायरानोज होता है |
(2) यह एक रंगहीन क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ है इसका गलनांक 375.4 K है|
(3) यह जल में अत्यधिक विलय है लेकिन एल्कोहल में अल्प विलेय है |
(4) इसका जलीय विलयन वामध्रुवण घूर्णक (laevorotatory) होता है |
रासायनिक गुण -
(1) ऑक्सीकरण -
यह प्रबल ऑक्सीकारक जैसे नाइट्रिक अम्ल आदि से ऑक्सीकृत हो जाता है तथा ग्लाइकोलिक अम्ल एवं टार्टरिक अम्ल का मिश्रण प्राप्त होता है|
(2) अपचायक गुण -
यह अमोनिकल सिल्वर नाइट्रेट को अपचयित कर रजत दर्पण बनाता है एवं फेहलिंग विलयन को अपचयित कर क्युप्रस ऑक्साइड का लाल अवक्षेप देता है|
(3) अपचयन -
यह सोडियम अमलगम तथा जल से क्रिया कर आंशिक रूप से अपचयित होकर D-सॉर्बिटोल तथा D-मैनीटोल का एक मिश्रण देता है|
(4) HCN से क्रिया -
यह HCN से क्रिया कर निम्न दो ऐपिमेरिक सायनोहाईड्रिन्स का निर्माण करता है|
(5) किण्वन-
यीस्ट से प्राप्त एंजाइम जायमेज से किण्वन पर यह एथिल एल्कोहॉल व CO2 बनाता है |
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