प्रोटीन जटिल नाइट्रोजन युक्त यौगिक हैं| सभी प्रोटींस जल अपघटन पर आवश्यक रूप से अल्फा अमीनो अम्ल के मिश्रण का निर्माण करते हैं| अतः अमीनो अम्ल निश्चित रूप से प्रोटीन की संरचनात्मक इकाई हैं| प्रोटींस, पेप्टाइड लिंकेज द्वारा अल्फा अमीनो अम्ल के संघनन से निर्मित होते हैं|
एक प्रोटीन में कई प्रकार की अल्फा अमीनो अम्ल इकाइयां उपस्थित हो सकती हैं| अधिकांश प्रोटीन में मुख्य भाग केवल तीन या चार अमीनो अम्ल द्वारा निर्मित होता है जबकि अल्प भाग में 15 या अधिक अमीनो अम्ल उपस्थित हो सकते हैं|
प्रोटीन की संरचना का अध्ययन संरचनात्मक संघठन के चार स्तरों के रूप में समझा जा सकता है, जिन्हें प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक एवं चतुर्थक संरचनाएं कहा जाता है|
[A] प्रोटींस की प्राथमिक संरचना (Primary structure of proteins)-
प्रोटींस की प्राथमिक संरचना आपस में पेप्टाइड लिंकेज द्वारा जुड़े अमीनो अम्ल के क्रम को संदर्भित करती है| प्रोटीन की प्राथमिक संरचना का निर्धारण प्रायः प्रोटीन का क्रमिक जल अपघटन एंजाइम या खनिज अम्लों के साथ करके तथा इस प्रकार उत्पन्न अमीनो अम्ल की पहचान करके किया जाता है| किसी प्रोटीन के अमीनो अम्ल का क्रम उसके कार्य को निर्धारित करता है तथा उसकी जैविक क्रियाशीलता के लिए उत्तरदाई है| किसी एक अमीनो अम्ल के क्रम में परिवर्तन भी संपूर्ण प्रोटीन अणु के गुणों को परिवर्तित कर सकता है|
[B] प्रोटींस की द्वितीयक संरचना (Secondary structure of proteins)-
प्रोटीन अणु में पेप्टाइड श्रृंखलाएं नियमित आकृति में व्यवस्थित रहती हैं| इस आकृति का निर्धारण प्रोटींस की द्वितीयक संरचना प्रदान करता है|
प्रोटीन के लिए निम्नलिखित दो प्रकार की द्वितीयक संरचनाएं प्रतिपादित की गई हैं-
(1) हैलिक्स संरचना -
पॉलिंग ने 1951 में सुझाव दिया कि प्रोटीन में अमीनो अम्ल श्रृंखलाएं एक सर्पिल आकार में कुंडलित रहती हैं, जिसे हैलिक्स कहते हैं| ऐसा हैलिक्स वामहस्त या दक्षिणहस्त हो सकता है| दक्षिणहस्त हैलिक्स को अल्फा हैलिक्स तथा वामहस्त हैलिक्स को बीटा हैलिक्स कहा जाता है| यह पाया गया है कि अल्फा हैलिक्स अपेक्षाकृत अधिक स्थाई व्यवस्था है|
(2)बीटा प्लीटेड शीट-
1951 में पॉलिंग ने प्रोटीन का दूसरा रूप प्रस्तुत किया जिसे बीटा प्लीटेड सीट कहा गया| इस रूप में पॉलिपेप्टाइड्स श्रृंखलाएं विस्तारित होती हैं तथा आपस में अंतर अणुक हाइड्रोजन बंधों द्वारा जुड़ी रहती हैं| दो प्रकार की बीटा प्लीटेड सीट संभव हैं|
(a) समांतर बीटा प्लीटेड शीट
(b) प्रति समांतर बीटा प्लीटेड शीट
[C] प्रोटींस की तृतीयक संरचना (Tertiary structure of proteins)-
तृतीयक संरचना प्रोटीन अणु की त्रिविमीय आकृति से संबंधित है, जो हैलिक्स के मुड़ने, झुकने और वलन के परिणामस्वरूप प्राप्त होती है| तृतीयक संरचना हैलिक्स के ऐंठन, मुड़ने तथा वलन के कारण उत्पन्न होती है| तृतीयक संरचना में समस्त अणु का वलन निहित होता है| यह वलन हाइड्रोजन बंधता, आयनिक बंधता, सहसंयोजक बंधता एवं जलविरोधी बंदता युक्त हो सकता है| वलन के आधार पर दो प्रकार की आणविक आकृतियां संभव हैं-
(a) फाइबर संरचना
(b) ग्लोब्यूलर संरचना
[D] प्रोटींस की चतुष्क संरचना (Quaternary structure of proteins)-
कुछ प्रोटीन दो या दो से अधिक पॉलिपेप्टाइड श्रृंखलाओं द्वारा निर्मित होते हैं जिन्हें सबयूनिट कहते हैं| एक दूसरे के सापेक्ष इन सबयूनिटों की त्रिविमीय व्यवस्था को चतुष्क संरचना कहते हैं|
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